Manrega Scheme: ग्रामीण भारत में रोजगार की सबसे बड़ी गारंटी बन चुकी है Manrega Scheme, जिसका पूरा नाम है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम। यह योजना उन ग्रामीण परिवारों के लिए शुरू की गई थी जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और जिन्हें सालभर में स्थायी रोजगार नहीं मिल पाता। Manrega Scheme का मुख्य उद्देश्य है ग्रामीणों को उनके ही गांव में 100 दिनों तक मजदूरी के काम की गारंटी देना, जिससे न केवल उनकी आय बढ़े बल्कि गांव की विकास परियोजनाएं भी तेज़ी से आगे बढ़ें।
Manrega Scheme की शुरुआत और विस्तार
Manrega Scheme को वर्ष 2005 में संसद में पास किया गया और 2 फरवरी 2006 से इसे देश के 200 पिछड़े जिलों में लागू किया गया। बाद में इस योजना को पूरे देश में फैला दिया गया और अब यह भारत के 644 से भी अधिक जिलों में सक्रिय रूप से लागू है।

कोविड-19 महामारी के दौरान जब पूरे देश में कामकाज बंद हो गया था, तब भी Manrega Scheme ने करोड़ों लोगों को राहत दी। खासतौर पर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह योजना लाखों परिवारों की आर्थिक रीढ़ बनी रही।
किन्हें मिलता है Manrega Scheme का लाभ
Manrega Scheme का लाभ हर उस भारतीय नागरिक को मिल सकता है जो ग्रामीण क्षेत्र में रहता है, जिसकी वार्षिक आय कम है, और जिसके पास BPL कार्ड है। योजना खासतौर पर असंगठित और अकुशल श्रमिकों के लिए बनी है, जो निर्माण, खुदाई, सिंचाई, वृक्षारोपण, तालाब खुदाई जैसे कार्यों में हिस्सा लेकर 100 दिन की कानूनी मजदूरी प्राप्त कर सकते हैं।
जॉब कार्ड होना इस योजना का आधार है। इसके ज़रिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यक्ति पंजीकृत है और उसे जब भी कार्य की आवश्यकता हो, तो उसे प्राथमिकता के साथ रोजगार दिया जाए।
Manrega Job Card कैसे बनवाएं और कैसे मिलता है काम
जो भी व्यक्ति Manrega Scheme का हिस्सा बनना चाहता है, उसे ग्राम पंचायत में जाकर आवेदन करना होता है। पहचान पत्र, राशन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज़ देने के बाद जॉब कार्ड जारी किया जाता है। इस कार्ड में परिवार के सभी वयस्क सदस्यों की जानकारी दर्ज होती है।
एक बार जॉब कार्ड मिलने के बाद जब भी पंचायत स्तर पर कार्य प्रारंभ होते हैं, तो कार्डधारी को काम दिया जाता है। यदि 15 दिनों के अंदर काम नहीं दिया जाता तो सरकार मजदूरी के बराबर मुआवजा देने की जिम्मेदार होती है।
Manrega Scheme में किस प्रकार के कार्य कराए जाते हैं
इस योजना के अंतर्गत मुख्य रूप से श्रम आधारित कार्य कराए जाते हैं जैसे कि तालाब और सड़क निर्माण, जलसंरक्षण, भूमि समतलीकरण, नालों की सफाई, वृक्षारोपण और सिंचाई योजनाओं से संबंधित कार्य। ये सभी काम गांव से 5 किलोमीटर के दायरे में ही कराए जाते हैं ताकि श्रमिकों को यात्रा में कठिनाई न हो। यदि कार्यस्थल 5 किमी से अधिक दूर है तो अतिरिक्त भुगतान भी दिया जाता है।
Manrega Scheme से जुड़े अन्य फायदे और सरकारी योजनाएं
Manrega Scheme सिर्फ 100 दिन के रोजगार तक सीमित नहीं है। इसके माध्यम से लाभार्थी कई अन्य योजनाओं का भी हिस्सा बन सकते हैं जैसे – प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाएं।
सरकार इन योजनाओं में जॉब कार्ड धारकों को प्राथमिकता देती है। साथ ही कुछ राज्यों में Manrega श्रमिकों को बीमा और चिकित्सा सुविधाएं भी दी जा रही हैं।

कंक्लुजन
Manrega Scheme ने ग्रामीण भारत में न केवल रोजगार की गारंटी दी है, बल्कि आत्मसम्मान और सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान की है। यह योजना उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो बिना किसी विशेष डिग्री या कौशल के भी मेहनत के दम पर रोज़गार चाहते हैं।
यदि आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं और बेरोजगारी से परेशान हैं, तो Manrega Scheme आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। बस एक जॉब कार्ड बनवाएं, और आप सरकारी रोजगार और योजनाओं के नेटवर्क से जुड़ जाएंगे। यह योजना सिर्फ कमाई का ज़रिया नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है।
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